मौलिक अधिकार वह अधिकार होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं, और जिनमें राज्य द्वारा कोई भी तकलीफ नहीं होती है. संविधान सभी नागरिकों के लिए व्यष्टि और सामूहिक रूप से बुनियादी स्वतंत्रता देता है।
इन अधिकारों को मौलिक अधिकार इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्हें देश के संविधान में स्थान दिया गया है मौलिक अधिकार समाज के हर व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते हैं. इसीलिए भी यह मौलिक अधिकार कहलाते हैं ।
मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण :
मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार थी लेकिन 44 में संशोधन के बाद संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार में से हटाकर संविधान के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत कर दिया गया ।
मौलिक अधिकारों की छह श्रेणियों संविधान के भाग 111 में अनुच्छेद 12 से 35 अनुच्छेद तक सम्मिलित किए गए हैं ।
1) समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक
2) स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक
3) शोषण के विरुद्ध अधिकार : अनुच्छेद 23:00 से 24:00 तक
4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक
5) सांस्कृतिक तथा शिक्षा का अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक
6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32
1) समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक
अनुच्छेद 14 : विधि के समक्ष समता
राज्य सही व्यक्तियों के लिए एक समान कानून बनाएगा तथा उन पर एक समान ढंग से उन्हें लागू करेगा ।
अनुच्छेद 15
धर्म नस्ल जाति लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध राज्य के द्वारा धर्म मूल वंश जाति लिंग एवं जन्म स्थान आदि के आधार पर नागरिकों के प्रति जीवन के किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जाएगा ।
अनुच्छेद 17 : अस्पृश्यता का अंत
अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए इससे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है ।
अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत
सेना या विधा संबंधी सम्मान की सिवाय अन्य कोई भी उपाधि राज्य द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी भारत का कोई नागरिक किसी अन्य देश से बिना राष्ट्रपति की आज्ञा के कोई उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता है ।
2) स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक
अनुच्छेद 19 :
1)बोलने की स्वतंत्रता ।
2)शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने
और सभा करने की स्वतंत्रता ।
3)संघ बनाने की स्वतंत्रता ।
4)देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता ।
5)देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता ।
6)संपत्ति का अधिकार ।
7) कोई भी व्यापार एवं जीविका चलाने की स्वतंत्रता ।
अनुच्छेद 20 : अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण
1) किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए सिर्फ एक बार सजा मिलेगी ।
2) अपराध करने के समय जो कानून है इसी के तहत सजा मिलेगी ना कि पहले और बाद में बनने वाले कानून के तहत ।
3)किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा ।
अनुच्छेद 21 : दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके और जीवन और व्यक्तित्व की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है ।
अनुच्छेद 21 :
राज्य 6 से 14 वर्ष के आयु के समस्त बच्चों का ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य विधि द्वारा आधारित करें निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएगा ।
अनुच्छेद 22 : गिरफ्तारी और निरोध में संरक्षण
अगर किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया हो तो :–
1) हिरासत में लेने का कारण बताना होगा ।
2) 24 घंटे के अंदर से दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा ।
3) उससे अपने पसंद के वकील से सलाह लेने का अधिकार होगा ।
3) शोषण के विरुद्ध अधिकार : अनुच्छेद 23:00 से 24:00 तक
अनुच्छेद 23 : मानव के दूर व्यापार और बल आश्रम का प्रतिशेध
इसके द्वारा किसी व्यक्ति की खरीद बिक्री बेगारी तथा इस प्रकार की अन्य जबरदस्ती से लिया गया श्रम निषेध ठहराया गया है ।
अनुच्छेद 24 : वालों को के नियोजन का प्रति षेध
14 वर्ष से कम आयु वाले किसी बच्चे को कारखानों या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है ।
4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक
अनुच्छेद 25 : अंत करण की और धर्म को आबाध रूप से मानने आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता
कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है और उसका प्रचार प्रसार कर सकता है ।
अनुच्छेद 26 : धार्मिक कार्यों की प्रबंध की स्वतंत्रता
व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं व स्थापना व पोषण करने विधि सम्मत संपत्ति के अर्जुन स्वामित्व और प्रशासन का अधिकार है ।
अनुच्छेद 27 :
किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता जिसकी आए किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक संप्रदाय की उन्नति या पोषण में वह करने के लिए विशेष रूप से निश्चित कर दी गई है ।
अनुच्छेद 28 : राज्य विधि से पूर्णत
रोहित किसी शिक्षा संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी ऐसे शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या किसी धर्म को देश को बुलाते हेतु सुनने के लिए बाध्य नहीं कर सकते ।
5) सांस्कृतिक तथा शिक्षा का अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक
अनुच्छेद 29 :
अल्पसंख्यक हितों का संरक्षण कोई अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है ।
अनुच्छेद 30 : शिक्षा संस्थाओं की स्थापना प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्था चला सकता है और सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी ।
6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32
इसके तहत मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए समुचित कार्यवाही द्वारा उच्चतम न्यायालय में आवेदन करने का अधिकार प्रदान किया गया है ।
1) बंदी प्रत्यक्षीकरण
2) परमादेश
3) प्रतिषेध लेखन
4) उत्प्रेषण
5) अधिकार पृच्छा लेख