भारत में आयकर की शुरुआत कब हुई?
भारत में आयकर की शुरुआत सर जेम्स विल्सन द्वारा 24 जुलाई सन 1807 में की थी. यह एक ऐसा कर था, जो शाही परिवारों, अमीर और ब्रिटिश नागरिक पर लगाया जाता था. शक्तिशाली लोगों द्वारा इसे पसंद नहीं किया गया.
पहले वर्ष में इस कर ने 30 लाख रूपए की राशि जमा की, इस अधिनियम को 1865 में समाप्त कर दिया गया, फिर 1868 में इस कर अधिनियम को वापस लाया गया. सन 1918 में एक नया आयकर अधिनियम बनाया गया,
उसमें यह व्यवस्था चालू की गई लेकिन इसे 1922 में बदल दिया गया और इसमें कई संशोधन किए गए, सन् 1961 में नया आयकर अधिनियम पारित हुआ यह अधिनियम जम्मू कश्मीर सहित संपूर्ण भारत में लागू हुआ।
Income Tax क्या है?
आयकर सरकार की इनकम का मुख्य स्त्रोत है, इनकम टैक्स जो नाम से ही स्पष्ट है कि यह हमारी आमदनी पर लगने वाला टैक्स है, हमें अपनी इनकम का एक निर्धारित हिस्सा हर साल गवर्नमेंट को देना पड़ता है, यह कर अलग अलग इनकम वाले लोगो से अलग अलग तरीको से वशुला जाता है. इनकम टैक्स हमारे आमदनी पर निर्भर होती है |
भारत समेत पूरी दुनिया में दो तरीके से इनकम टैक्स लिया जाता है-
1). लोगों की आमदनी में से कुछ हिस्सा लेकर /प्रत्यक्ष कर(Direct tax).
2). कुछ सेवाओं और वस्तुओं के उपभोग पर शुल्क लगाकर / परोक्ष कर(indirect tax).
1) प्रत्यक्ष कर –
इनकम टैक्स/ आयकर प्रत्यक्ष कर (direct tax) में शामिल है, जिसमें हर साल तय नियम के अनुसार सरकार देश के उन सभी नागरिकों से इनकम टैक्स वसूलती हैं जिनकी आमदनी टैक्स देने लायक होती है |
आयकर चुकाने के लिए लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं-
2). परोक्ष कर –
परोक्ष कर(indirect tax) आपकी आय से नहीं लिया जाता, जबकि किसी वस्तु या सेवा को खरीदते समय दिया जाता है. यह कर केवल वही व्यक्ति भुगतान करता है, जो वस्तु या सेवा के मूल्य से जुड़ा होता है. यह कर किसी वस्तु या सेवा की कीमत में छुपा होता है. इसलिए इसे परोक्ष कर (indirect tex) कहते हैं.
किसी व्यक्ति पर इनकम टैक्स चरणबद्ध तरीके से लगता है जैसे-जैसे आपकी इनकम बढ़ेगी टैक्स का रेट भी बढ़ेगा.
Income tax की दर :
आपको यह तो पता चल ही गया होगा की इनकम टैक्स क्या होता है लेकी आपको यह नहीं पता होगा की इनकम टैक्स कब और कितनी दर पर लगता है आइये हम आको बताते है कि इनकम टैक्स कितने रुपए पर लगता है-
वार्षिक आय
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दर
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टैक्स
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2.5 लाख या उससे कम
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NA
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जिसकी आय 2.5 लाख या
उससे कम आइसे लोगो से किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जाता.
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2.5 लाख-5 लाख
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5%
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जिसकी आय 2.5 लाख से
5 लाख है उनसे कुल आय का 5 फीसदी का
टैक्स लिया जाता.
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5 लाख -7 लाख
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10%
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जिसकी आय 5 लाख से 7
लाख है उनसे कुल आय का 10 फीसदी का
टैक्स लिया जाता.
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7.5 लाख से 10 लाख
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15%
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जिसकी आय 7.5 लाख से
10 लाख है उनसे कुल आय का 15 फीसदी का टैक्स लिया जाता.
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10 लाख -12.5 लाख
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20%
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जिसकी आय 10 लाख से 12.5 लाख है उनसे कुल आय का 20 फीसदी
का टैक्स लिया जाता.
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12.5 लाख से 15 लाख
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30%
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जिसकी आय 12.5 लाख से
15 लाख है उनसे कुल आय का ३० फीसदी का टैक्स लिया जाता.
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इनकम टैक्स का भुगतान कैसे किया जाता है?
इनकम टैक्स का भुगतान हम 3 तरीकों से कर सकते है जो निम्न है-
- TDS,
- Advance tax,
- Self tax
1). TDS :
अगर आप salaried है, तो आपकी सैलरी में से हर महीने उनका employer TDS (tax deduction at source) के रूप में टैक्स काट लेता है, यह टैक्स इनकम से सीधे कटता है, इसलिए इसे income tax deduction at source कहते हैं।
2). Advanced tax :
सैलरी के अलावा अन्य स्रोतों से जो इनकम बनती है, उस पर हर साल टैक्स ₹10000 से ज्यादा का बनता है। इसमे हर तिमाही पर कुल टैक्स का हिस्सा जमा करना पड़ता है, इसीलिए इसे एडवांस टैक्स कहते हैं.
3). Self assessment tax :
TDS, advance tax और TCS आदि के माध्यम से जमा किए गए टैक्स के अलावा भी अगर कुछ रकम आप पर टैक्स देनदारी के रूप में हो तो आप इसे सेल्फ एसेसमेंट टैक्स के तहत जमा कर सकते हैं .
इनकम टैक्स रिटर्न क्या है?
Income tax Return : “जो टैक्स आपने गवर्नमेंट के पास जमा किया है, उस टैक्स के बारे में सरकार आपको Income tax Return के रूप में जानकारी देती है। सरकार अपनी पिछले वित्तीय वर्ष का ब्यौरा देने के लिए एक फॉर्म भरती है, जिसे इनकम टैक्स रिटर्न कहते हैं।”
यह एक कानूनी दस्तावेज के रूप में है, इसमें नागरिक अपनी आमदनी का पूरा ब्यौरा सरकार को देता है।
इनकम टैक्स रिटर्न एक स्टेटमेंट है, जो सरकार को बताता है कि किसी देश के नागरिक अपने बिजनेस से कितनी रकम कमाते हैं और उस पर कितना टैक्स देते हैं।
income tax के साथ-साथ इनकम टैक्स रिटर्न भी भरना चाहिए जिसके बहुत से फायदे हैं, आइये जानते है income tax return के फायदे –
income tax return के फायदे-
◆ शेयर बाजार में निवेश और उसमें आप के घाटे की कंडीशन में इनकम टैक्स रिटर्न आपके लिए बहुत फायदेमंद है, जो नुकसान को समायोजित कर सकता है.
◆ यदि आप स्वयं का बिजनेस स्टार्ट करना चाहते हो तो इनकम टैक्स रिटर्न आपके लिए बहुत अच्छी सुविधा है, जिसके आधार पर आपको बिजनेस की शुरुआत करने के लिए आसानी से लोन मिल सकता है।
◆ अधिक पैसों के लेनदेन में Income tax Return आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है।
इनकम टैक्स क्यों लिया जाता है?
हमारी आय का एक भाग सरकार ने देश के विकास के रूप में लिया है, Income tax ही सरकार की इनकम का मुख्य स्त्रोतों में से एक है.
कोई भी सरकार अपने अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में लोगों को कई सुविधाएं जैसे सड़क, पानी, बिजली, पार्क, राशन आदि की सुविधा उपलब्ध करवाती है, जिस पर काफी खर्च आता है जिसकी पूर्ति हेतु सरकार टैक्स लेती है।
◆ किसानों और गरीब लोगों को सुविधा या मदद भी इसी में शामिल है।
◆ विकलांग की देखभाल पर टैक्स की छूट।
◆ यदि आप टैक्स भरते हो और आपके घर पर कोई सदस्य जैसे बच्चे, पत्नी-पति या पालक विकलांग है, तो उनकी देखभाल हेतु ₹75000 तक की रकम सेक्शन 80dd के तहत छूट की हकदार होती है।
◆ गंभीर बीमारी से ग्रसित पर उपचार का खर्च।
◆ यदि आप टैक्स भरते हो और आपके घर पर कोई सदस्य गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाने पर उनके ट्रीटमेंट हेतु ₹40000 तक टैक्स की छूट के अंतर्गत आता है, यह उस ग्रसित की आयु के ऊपर निर्भर है कि आपको कितनी टैक्स में छूट मिलेगी।
बैंक में कितने पैसे जमा करने पर टैक्स लगता है
बैंक में 7.5 लाख से 1000000 की आय पर 15 फ़ीसदी टैक्स लगता है
1000000 रुपए बैंक में जमा करने पर कितना टैक्स लगता है?
10 लाख से 12.5 लाख रुपए बैंक में जमा करने पर 20 फ़ीसदी टैक्स लगता है
इनकम टैक्स की विशेषताएं :
- इनकम टैक्स एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर है जिसमें जिस भी व्यक्ति पर कर लगाया जाता है वही उसको सहन करता है.
- आयकर एक केंद्रीय कर है जिसमें सरकार द्वारा टैक्स लगाया जाता है.
- एक व्यक्तिगत वर्ष की शुद्ध कर योग्य आय की गणना आय कर अधिनियम प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है.
- व्यक्ति के संपूर्ण Income पर एक जैसा टैक्स नहीं लगता income के विभिन्न खंडों पर अलग-अलग दरों से गणना की जाती है.
- आयकर दाताओं को उनकी कुल आय पर जो वह इनकम टैक्स चुकाते हैं उनमें से 4% की दर से शिक्षा का उपकर भी चुकाना पड़ता है.
- आयकर का भुगतान चालू कर निर्धारण वर्ष में किया जाता है.
- यदि आए निर्धारित राशि से अधिक होती है तो कर लगता है.
Income tax हेल्पलाइन नंबर :
आयकर से संबंधित प्रश्नों के लिए : 1800 180 1961
सुधार और वापसी के लिए सीपीसी : 1800 425 2229