Taliban full Detail in Hindi | तालिबान क्या है? | तालिबान का इतिहास |

Taliban in hindi : तालिबान क्या है ?

taliban kon hai
Taliban/Afganistan


तालिबान (طالبان) पश्तो का शब्द है, जिसका अर्थ है ज्ञानार्थी मतलब कि छात्र ऐसे छात्र जो इस्लामी कट्टरपंथ पर यकीन करते हैं, यह एक आधारवादी आन्दोलन है,

तालिबान का जन्म दक्षिण अफगानिस्तान में सुन्नी इस्लाम का कट्टरपंथी रूप सिखाने वाले एक मदरसे में हुआ, शुरुआत में तालिबान काफी मजबूत रहा क्योंकि तालिबानों का कहना था कि वह अराजकता और भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे. 

लेकिन तालिबान के भ्रष्टाचार को खत्म करने का तरीका हिंसा थी, जिसके कारण तालिबान ने जनता में डर पैदा कर दिया.


तालिबान कौन सा देश है?

तालिबान पहली बार अफगानिस्तान में 1990 में आया और इसके 6 साल बाद तालिबान अफगानिस्तान के कंधार समेत कई हिस्सों में फैल गया, या यह कहे कि अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों में तालिबान का शासन हो चुका था. उस वक्त पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब ने इस सरकार को मान्यता दी थी, ये तीनों देश ही सुन्नी बहुल है.


तालिबान की स्थापना कब हुई?

सितंबर 1994, कंधार, अफ़ग़ानिस्तान.


तालिबान में कौन से धर्म के लोग रहते हैं?

अफगानिस्तान एक मुस्लिम country है, इसलिए यहाँ पर 99% इस्लाम धर्म के लोग ही रहते है, लेकिन यहाँ पर बची हुई 10 % आबादी में सिख, हिन्दू समुदाय के लोग भी रहते है.


तालिबान का मुखिया कौन है?

आज के समय में तालिबान का राजनितिक मुखिया मुल्ला अब्दुल गनी बरादर है. मुल्ला अब्दुल गनी बरादर नही तलिम्बान की नीव रखी. 


तालिबान की जनसंख्या :

अफगानिस्तान जहां पर तालिबान का कब्जा हो गया है, 2011 में यहां की आबादी 2.6 करोड़ थी. जबकि 2017 में आबादी 2.92 करोड़ तक पहुंच गई, जिसमें से 1.42 करोड़ महिलाएं जबकि 1.5 करोड़ पुरुष है, और 30 लाख लोग शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं.


तालिबान कौन चलाता है?

तालिबान की कमर क्वेटा शूरा नाम की काउंसिलिंग ने कसी है, 2013 तक तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर रहे. उसके बाद 2016 तक मुल्ला अख्तर को तालिबान का संस्थापक बनाया गया और 2016 में मुल्लाह अख्तर को ड्रोन स्ट्राइक में मार गिराया. उसके बाद में तालिबान का कमांडर मौलवी हैबतुल्ला अखुन्दाजा है. 

इसके साथ उमर का बेटा अमूल्य मोहम्मद याकूब भी है साथ ही गनी बरादर और हक्कानी भी इस तालिबान का हिस्सा है.


तालिबान तालिबान की कमाई : (How does the Taliban make money?)

तालिबान को पैसे की कमी नहीं है, तालिबान की कमाई ड्रग्स, खनन, चंदा, रंगदारी, निर्यात, रिअल एसेट्स जैसी गैर कानूनी चीजो से होती है. जिसमें उन्हें अच्छी कमाई होती है और पाकिस्तान जैसे देशों से भी सहायता मिलती है.


तालिबान का मकसद : Mission of Taliban

तालिबान नाम सुनते ही भय जो आज के समय में अफगानिस्तान की जनता में पैदा होता है, इन के वायदे अराजकता भ्रष्टाचार को समाप्त करने वाले तालिबान का मकसद अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात की स्थापना करना है, तालिबान के जड़े दूर-दूर तक फैली हुई है. क्युकी तालिबान का संबंध बड़े बड़े आतंकी संगठनों से है.


अफगानिस्तान के कुल राज्य :

अफगानिस्तान में कुल 29 राज्य है जिसकी राजधानी काबुल है, (Note : वर्तमान में (दिन रविवार 15 Aug 2021) को तालिबान ने काबुल और कब्ज़ा कर लिया है.) इसके 12 नगर है जिसमें 2 अधिकारी भाषा दारी और पस्तो बोली जाती हैं, और अफगानिस्तान की मुद्रा का नाम अफगानी है और यहां के लोगों को अफगान कहा जाता है, यह एक गरीब देश है जहां भ्रष्टाचार गरीबी काफी ज्यादा है.


अफगानिस्तान के राष्ट्रपति :

अफगानिस्तान में तालिबान आतंकी राष्ट्रपति भवन में घुसे और भवन पर तालिबान का परचम लहरा भी दिया है, तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए है उनके भागने के बाद अब मौलाना अब्दुल गनी बरादर को राष्ट्रपति बनाया जा सकता है, अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति ने भी इस्तीफा दे दिया है.
 

तालिबान की सत्ता 2001 से :

तालिबान ने अफगानिस्तान को अमेरिकी नेतृत्व में 2001 में सत्ता से बाहर निकाल दिया था, लेकिन तालिबान खुद को मजबूत करता गया और अब फिर से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है.
 
फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ इसके बाद तालिबान ने शहरों में हमले और और खास लोगों को निशाना बनाया और अफगानिस्तान की जनता को आतंकित कर दिया.


कैसे मजबूत हुआ तालिबानी 20 सालों में :

2001 में अमेरिकी नेतृत्व में तालिबान से पहाड़ी इलाकों में रहे 2012 में नाटो बेस पर हमला करके तालिबान आगे बढ़ा, 2015 में तालिबान ने कुंडुज पर हमला किया पाकिस्तान संगठन, आतंकी संगठन और ISIS की मदद से तालिबान ने अपना आधार मजबूत किया, 

2020 में अमेरिका की शांति प्रस्ताव के बाद तालिबान छोटे-छोटे इलाकों पर कब्जे की रणनीति शुरू की और तालिबान अफगानिस्तान पर हुकूमत चला ना चाहता है, और तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया.


अफगानिस्तान पर तालिबान का खौफ :

20 साल बाद तालिबान अफगानिस्तान में आना अफगानिस्तान वालों के लिए खौफ बन चुका है, तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर पूरे देश में शासन शुरू कर दिया है और अपना कानून जनता पर थोपने लगे हैं.

कानून ना मानने वाले लोगों को सरेआम सजा देना शुरू कर दिया हत्या, यौन उत्पीड़न, कोड़े मारने की सजा खुलेआम होने लगी मर्दो की लंबी दाढ़ी, औरतो को बुर्का पहनना और काले रंग से खिड़किया रंगदार कर दी गई, लड़कियों की स्कूल जाने पर पाबंदी और साथ ही  धार्मिक कट्टरता भी देखने को मिली।

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